Friday, June 29, 2007

पन्थी

पन्थी

पन्थी हु मै उस पथ का
अन्त नहीं कोइ जिस्का
आस मेरे है जिसकी दिशा
आधार मेरे मन का
पन्थी हु मै उस पथ का
सन्गी साथी मेरे
मुझको राह दिखाए
पल छीन के कुलधारे
पथिक मेरे मन के सब तारे
और नीला आकाश गगन का. .

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